Saturday, October 31, 2020

सिंधु घाटी सभ्यता (Indus valley civilization)

विषय-सूचि    


  •   सिन्धुघाटी सभ्यता व काल निर्धारण 
  •   सिन्धुघाटी सभ्यता संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य
  •   हड़प्पा सभ्यता का विस्तार 

  •   सिन्धुघाटी सभ्यता के प्रमुख खोज 

  •   सिंधु घाटी सभ्यता कालीन प्रमुख नगर

  •   सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का जीवन


   सिंधु घाटी सभ्यता 

  • रेडियोकार्बन डेटिंग C 14 तकनीक के आधार पर हड़प्पा सभ्यता का काल निर्धारण :-(2500 BC -1750 BC ) 


*सिन्धुघाटी सभ्यता संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य*

चार्ल्स मेसन(1826):हड़प्पा

  • 1826 - सर्वप्रथम चार्ल्स मेसन ने हड़प्पा नामक स्थल पर एक प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिलने के प्रमाण की पुष्टि की थी।

भारतीय पुरातात्विक एवं सर्वेक्षण विभाग(Archaeological survey of India:ASI)

  • कार्य- भारत मे प्रागेतिहासिक स्थलों को खोजने का कार्य 

  • स्थापना- 1861
  • संस्थापक- अलेक्जेंडर कनिंघम
  • वायसराय- लार्ड केनिंग
  • भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना का श्रय- लार्ड कर्जन 
  • भारतीय पुरातत्व के कार्य का प्रारंभ- विलियम जोन्स(1784)
  • भारतीय पुरातत्व के जन्मदाता - अलेक्ज़ेंडर कनिंघम (1861)
  • 1921 में भारतीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक- सर जॉन मार्शल

जॉन मार्शल के अंतर्गत प्रमुख उत्खनन

    वर्ष                     खोजकर्ता                      खोज स्थल

1921            रायबहादुर दयाराम साहनी          हड़प्पा

1922               राखालदास बनर्जी               मोहनजोदड़ो

हड़प्पा सभ्यता का विस्तार 



 महत्वपूर्ण तथ्य

  • हड़प्पा सभ्यता का वर्तमान क्षेत्रफल                       - 15,02,097 वर्ग किलोमीटर 
  • हड़प्पा सभ्यता का कुल क्षेत्रफल                            - 12,99,600 वर्ग किलोमीटर
  • हड़प्पा सभ्यता का बढ़ा हुआ क्षेत्रफल(12,02,097वर्ग किलोमीटर ) समकालीन मिस्र की नील नदी घाटी तथा सुमेरिया (इराक) की सभ्यता से अधिक है  
  • सर्वाधिक 175 स्थल प्राप्त हुए है                             -घग्घर-हकरा (सरस्वती घाटी )
  • सिंधु घाटी क्षेत्र में प्राप्त स्थल                                  - 86
  • हड़प्पा सभ्यता के स्थलों की संख्या                         -1401   

सिन्धुघाटी सभ्यता के प्रमुख खोज 

  • मातृदेवी (प्रथ्वी देवी )


  • स्थान             - हड़प्पा 
  • शेली          - सेंधव शेली 

  • विशेष :
  • हड़प्पा से प्राप्त एक मूर्ति में एक स्त्री की गर्भ से निकलता हुआ पोधा दिखाया गया है | 
  • संभवतः यह प्रथ्वी देवी (मातृदेवी) की प्रतिमा है | इसका संबंध पोंधों के जन्म तथा वृद्धि से रहा होगा |
  • हड़प्पा के लोग इसे प्रथ्वी की उर्वरता देवी मानते थे | इसकी पूजा उसी तरह करते थे जिसप्रकार मिस्र के लोग आइसिस की पूजा करते थे

पारदर्शी वस्त्र में नर्तकी 

  • स्थान             - हड़प्पा 
  • शेली          - सेंधव शेली 

  • विशेष :
  1. सिन्धु कला का श्रेष्ठ नमूना 
  2. नर्तकी के गले में पड़े हार के अलावा पारदर्शी वस्त्र है |

पशुपति मुहर (आधशिव)

  • स्थान -          मोहनजोदड़ो
  •  विशेष
  1. इसमें त्रिमुखी पुरुष को एक चौकी के ऊपर पद्मासन मुद्रा में बैठे हुए दिखाया गया हैं।
  2. उसके सिर में सिंह है तथा कलाई से कंधे तक उसकी दोनों भुजाएं चूड़ियों से युक्त है
  3. मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति के मुहर पर बेल का चित्र अंकित नहीं है

     पुरोहित राजा की मूर्ति


  • स्थान- मोहनजोदड़ो
  •  निर्माण -सेलखड़ी (कांचली मिट्टी) से निर्मित 
  • विशेष 
  1. दाढ़ी वाले पुजारी की मूर्ति (पुरोहित की प्रतिमा)
  2.  इसमें राजा की दाढ़ी करीने से सवारी गई है लेकिन मुंछे नहीं  है
  
                                                   नर्तकी की नग्न मूर्ति
  • स्थान -              मोहनजोदड़ो 
  • धातु -                कांसा 
  • शैली-                सेंधव शैली 
  • विशेष
  1.  सिंधु कला का श्रेष्ठ नमूना 
  2. नर्तकी के गले में पड़े हार के अलावा पूर्णत: नग्न है 
  3. सिर के पीछे उसके बालों की चोटी लटे एक बुनी हुई पट्टीका द्वारा सवारी गई है
  4. सिर पीछे की ओर झुकाएं ,आंखें झुकी हुई, दाएं भुजाएं कुल्हे पर टिकाए तथा बाएं भुजा नीचे की ओर लटकी हुई 
  5. यह मूर्ति स्थित मुद्रा को दर्शाती है
    स्वास्तिक चिन्ह युक्त मुहर



  • स्थान -              मोहनजोदड़ो
  •  विशेष 
  1. मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहर का पर स्वास्तिक चिन्ह का अंकन सूर्य पूजा का प्रतीक माना जाता है 
  2. हिंदू धर्म में आज भी स्वास्तिक को पवित्र मांगलिक चिन्ह माना जाता है 

सिंधु घाटी सभ्यता कालीन प्रमुख नगर





हड़प्पा 

  • खोज                          - 19 21
  •  खोजकर्ता                  - रायबहादुर दयाराम साहनी 
  • भारतीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक     -सर जॉन मार्शल
  •  स्थान                        - जिला -मोंटगोमरी (शाहिवाल),प्रांत-पंजाब,पाकिस्तान 
  • नदी                           -रावी
  •  विशेष 
  1. हड़प्पा सभ्यता का सर्वप्रथम उल्लेख        -1826: चार्ल्स मिशन 
  2.  हड़प्पा सभ्यता की दूसरी राजधानी 
  3. हड़प्पा सभ्यता का दूसरा बड़ा नगर 
  • चूँकि हड़प्पा की खोज सबसे पहले हुई इसलिए इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं |

मोहनजोदड़ो (प्रेतों का टीला/ दुर्ग टीला /स्तूप टीला /मृतकों का टीला )

  • मोहनजोदड़ो का अर्थ           - मृतकों का टीला 
  • अन्य नाम                            -दुर्ग टीला/स्तूप टीला/प्रेतों का टीला 
  • खोज                                   -1922 
  • खोजकर्ता                            - राखलदास बनर्जी 
  • भारतीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक     - सर जॉन मार्शल 
  • स्थान                                 - जिला-लकराना, प्रांत -सिंध, पाकिस्तान 
  • नदी                                   - सिंधु
  • विशेष 
  1. हड़प्पा सभ्यता की राजधानी 
  2. हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर 
  3. इसे सिंध का बाग या नखलिस्तान भी कहते हैं
  4.  पक्की ईंटों का प्रयोग 4:2:1 
  5. किले को दुर्गीकृत करने का साक्ष्य नही मिलता है 
  6. प्रेतों का टीला                 -किसी कब्रिस्तान का उल्लेख नहीं है सामूहिक नर कंकालों का उल्लेख मिला है|
चन्हुड़ो 
  • खोज                                - 1931 
  • खोजकर्ता                         - गोपाल मजूमदार 
  • स्थान                                -प्रांत सिंध पाकिस्तान
  •  नदी                                 -सिंधु 
  • विशेष  
  • औद्योगिक नगर 
  • एकमात्र पुरास्थल जहां से वक्राकार ईट मिली है
कालीबंगा (काले रंग की चूड़ियां )
  • कालीबंगा का अर्थ           - काले रंग की चूड़ियां 
  • खोज                              -1951 
  • खोजकर्ता                       -अमलानंद लाल,व्रजवासी घोष, B .k थापर
  •  स्थान                             - जिला -हनुमानगढ़, राजस्थान
  •  नदी                               -घग्गर (प्राचीन- सरस्वती) 
  • विशेष -शल्यक्रिया के प्राचीन साक्ष्य 
रोपण
  •  खोज                    -1953 
  • खोजकर्ता              -यज्ञदत्त शर्मा (1950-व्रजवासी लाल, 1953 -यज्ञदत्त शर्मा )
  • स्थान                     - जिला -रोपड़, पंजाब 
  • नदी                       -सतलज 
  • आधुनिक नाम        -रूपनगर
रंगपुर 
  • खोज                     -1953 
  • खोजकर्ता              -रंगनाथ राव,माधव स्वरूप वत्स
  •  स्थान                    -जिला -काठियावाड़ (सौराष्ट्र क्षेत्र ),गुजरात
  •  नदी                      -भादर

लोथल 
  • खोज                     -1957 
  • खोजकर्ता              -रंगनाथ राव 
  • स्थान                     -जिला -अहमदाबाद ,गुजरात 
  • नदी                       -भोगवा
  •  विशेष 
  1. औद्योगिक नगर 
  2. बंदरगाह नगर या पत्तन नगर 
  3. यहां मिश्र व मेसोपोटामिया से जहाज आते थे 
  4. यहां अग्निपूजा प्रचलित थी (अग्नि देवी के साक्ष्य)
आलमगीरपुर
  •  खोज                    -1958 
  • खोजकर्ता              -यज्ञदत्त शर्मा 
  • स्थान                     - जिला -मेरठ ,उत्तर प्रदेश 
  • नदी                       -हिंडन (यमुना की सहायक नदी)

राखीगढ़ी 
  • खोज                    -1969
  •  खोजकर्ता            -सूरजभान 
  • स्थान                   - जिला- हिसार ,हरियाणा 
  • नदी                     -घग्गर (सरस्वती)

बनावली
  •  खोज               -1973 
  • खोजकर्ता          -रविंद्र सिंह बिष्ट 
  • स्थान                 -जिला -हिसार, हरियाणा 
  • नदी                   -घग्गर (सरस्वती)

मांडा 
  • खोज                  -1982
  •  खोजकर्ता          -जगपति जोशी 
  • स्थान                  -जिला -जम्मू ,जम्मू कश्मीर
  •  नदी                   - चिनाब

धोलावीरा 
  • धोलावीरा का अर्थ        - सफ़ेद कुआं (पालिशदार श्वेत पत्थर की अधिकता) 
  • खोज                           -1990
  •  खोजकर्ता                   - रविंद्र सिंह बिष्ट 
  • स्थान                           - जिला -कच्छ ,गुजरात
खंभात क्षेत्र
  •  खोज                          -2002 
  • खोजकर्ता                    - कतिरोली 
  • स्थान                          -  जिला -काठियावाड़, गुजरात
  •  नदी                           -साबरमती 
  • विशेष                         -सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे नवीनतम क्षेत्र

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का जीवन


  • परिवार                       : मातृसत्तात्मक 
  • शासन व्यवस्था            :प्रजातांत्रिक
 
वास्तुकला

  • भवन निर्माण की कला को वास्तुकला कहते हैं 
  • भारत में वास्तुकला की शुरुआत सिंधु घाटी वासियों ने की थी
  •  सिंधु घाटी एक नगरीय सभ्यता थी 
  • समकोण                     - सड़के समकोण पर काटती हुई बनाई गई थी जिसके किनारे नालियां नालियों की उत्तम व्यवस्था थी|
  • प्राचीर                         - नगर सुरक्षा हेतु मजबूत प्राचीर बनाए गए थे
  •  घरों का निर्माण 
  1. सड़कों के किनारे एक सीध में 
  2. घरों में कई कमरे ,रसोईघर ,स्नानघर, तथा बीच में आंगन की व्यवस्था थी|
धार्मिक जीवन 
  • प्राकृतिक के उपासक 
  • मुख्य इष्ट देव                   - मातृ देवी (भूमि )
  • अन्य देवता 
  1. कूबड़ वाला बैल (विशेष पूजनीय)
  2. पशुपति 
  3. पीपल वृक्ष 
  • पवित्र पशु                      - कूबड़  वाला बैल 
  • पवित्र वृक्ष                       - पीपल 
  • पवित्र पक्षी                       -कबूतर 
  • नारी के गर्भ से पौधा उगते साक्ष्य प्राप्त | धरती की उर्वरता को देवी मानकर पूजा जाता था |

धार्मिक मत 
  • जादू - टोना
  •  तबिजो का प्रयोग 
  • मूर्ति पूजा आदि का चलन था, किंतु मंदिरों का निर्माण नहीं होता था 
  • पशु बलि प्रथा 
  • भूत प्रेत एवं तंत्र - मंत्र में विश्वास 
  • पुनर्जन्म में विश्वास 
  • पर्दा प्रथा एवं वेश्यावृत्ति प्रचलित थी |

आर्थिक जीवन (अर्थव्यवस्था ) 

कृषि
  •  कपास,गेहू ,जों
  • कपास : यूनानी कपास को सिंडॉन व मेसोपोटामिया के लोग कपास को महुआ कहते थे |

  • विश्व में सबसे पहले कपास की खेती         -भारत (मोहनजोदड़ो )
  • चावल नहीं उगाते थे
  •  सिंचाई पद्धति               :रहित 

पशुपालन 
  • बैल , गाय , बकरी , भैंस , भेड़  , गधे , ऊँट आदि का पालन
  •  घोड़े से अपरिचित थे , सुरकोतड़ा से घोड़े के अस्थि अवशेष प्राप्त हुए |
  • गाय के अवशेष प्राप्त नहीं हुए |

 व्यापार 
  • जल व थल दोनों मार्गो से व्यापार होता था |
  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग व्यापार करते थे -
  1. पारस (दिलमुन या बहरीन तथा मकरान तट से )
  2. मेसोपोटामिया 
  3.  मिश्र 
  4. रोम
  5. अफगानिस्तान
  6. दक्षिण भारत 
  • प्रमुख आयत 
  1. टिन ,चांदी                                           :अफगानिस्तान 
  2.  लजवाई, मणि ,नीलरतन                      : बदख्शा (अफगानिस्तान)
  3. सोना                                                   :कोलर (कर्नाटक),अफगानिस्तान
  4. तांबा                                                    :खेतड़ी (राजस्थान)
  •  सिंधु घाटी से कपास रोम में निर्यात होता था | यूनानी लोग इसे सिंडॉन व मेसोपोटामिया के लोग इसे महुआ कहते थे |
  • माप - तोल               :16 के आवर्तक (1, 2, 4, 8, 16, 32,  64, 160, 320)
  •  मुहर                        :चौकोर

मृत्यु संस्कार 

सिंधु सभ्यता में मृतकों के अंतिम संस्कार की तीन प्रथा प्रचलित थी :



  1. दाह संस्कार 
  2. पूर्ण समाधिकरण 
  3.  आंशिक समाधिकरण

लिपि 



  • लिपि         : चित्राक्षर 
  •  पढ़ने में सफलता प्राप्त नहीं हुई |
  • लिपि की जानकारी का मुख्य स्रोत मुहरे हैं |
  • सामान्यतः माना जाता है कि सिंधु लिपियां लिखी जाती थी   -  दाएं से बाएं
  •  सिंधु लिपि के बारे में सर्वप्रथम विचार व्यक्त किया            -1873 अलेक्जेंडर कनिंघम 
1873 - अलेक्जेंडर कनिंघम ने विचार व्यक्त किया कि इस लिपि का संबंध ब्राह्मी लिपि से है
  •  सिंधु लिपि को पढ़ने का सर्वप्रथम प्रयास किया       -  1925 :  L.A .वैडेल



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